सौर ऊर्जा आधार
सौर ऊर्जा क्या है?
सौर ऊर्जा सूर्य की रोशनी से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा है। यह ऊर्जा सौर विकिरण के रूप में होती है, जो बिजली के उत्पादन को संभव बनाती है।
बिजली सीधे फोटोवोल्टिक (पीवी) सेल्स के माध्यम से पैदा की जा सकती है। ये सेल्स उन सामग्रियों से बनाई जाती हैं जो "फोटोवोल्टिक प्रभाव" प्रदर्शित करती हैं, यानी जब धूप पीवी सेल्स पर पड़ती है, तो प्रकाश के फोटोन सेल्स में इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करते हैं और बिजली उत्पन्न करते हैं, जिससे बिजली पैदा होती है।
सौर ऊर्जा नवीकरणीय, मुक्त, व्यापक तौर पर उपलब्ध और ऊर्जा का स्वच्छ रूप है। पृथ्वी पर पड़ने वाली सौर ऊर्जा की बड़ी मात्रा इसे बिजली का एक आकर्षक स्रोत बनाती है। सच तो यह है कि अनुमानों के मुताबिक सौर ऊर्जा की वार्षिक क्षमता कुल वैश्विक खपत से कई गुना अधिक है।
सौर कैसे काम करता है?
देखें कि कैसे सौर ऊर्जा ग्रिड के साथ जुड़ती है और दिन के दौरान आपके घर को बिजली की आपूर्ति करती है।
परिदृश्य-1 : सुबह
ऊर्जा प्रवाह
- सोलर प्लांट ऊर्जा उत्पादन शुरू करते हैं
- आपकी बिजली की मांग पहले सौर ऊर्जा से मिलेगी
- अतिरिक्त बिजली की जरूरत होने पर, बिजली ग्रिड से ली जाएगी
बिजली बिल में बचत
- आपकी बिजली की अधिकांश आवश्यकता को सौर ऊर्जा से पूरा किया जाएगा, इस प्रकार आपके डिस्कॉम के बिजली बिल को कम किया जा सकेगा
परिदृश्य-2 : दोपहर
ऊर्जा प्रवाह
- दिन के समय, सौर ऊर्जा का उत्पादन आपकी बिजली की मांग को पूरा करने के लिए करीब पर्याप्त होगी
- सोलर से पैदा हुई अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजा जाएगा
बिजली बिल में बचत
- ग्रिड को भेजी गई अतिरिक्त बिजली को नेट मीटर में दर्ज किया जाएगा और उसे आपके अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाएगा
परिदृश्य-3 : रात
ऊर्जा प्रवाह
- सूर्यास्त के बाद आपकी बिजली की जरूरत को मुख्य रूप से ग्रिड की आपूर्ति से पूरा किया जाएगा
बिजली बिल में बचत
- सूर्यास्त के बाद आपकी बिजली की जरूरत को मुख्य रूप से ग्रिड की आपूर्ति से पूरा किया जाएगा
सौर ऊर्जा क्यों?
सौर ऊर्जा से लाभ?
- यूटिलिटी बिजली बिल में कमी, टीओडी में उच्चतर लाभ
- दीर्घावधि के लिहाज से भरोसेमंद बिजली आपूर्ति का स्रोत (25 साल तक)
- नेट मीटरिंग प्रारूप के तहत् उपभोक्ता अतिरिक्त सोलर बिजली को डिस्कॉम को दे सकता है और उस पर उपयुक्त लाभ उठा सकता है
- अप्रयुक्त छतों से मूल्य सृजन
- आने वाले वर्षों में यूटिलिटी शुल्क वृद्धि के संबंध में जोखिम की कमी
- औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को त्वरित मूल्य ह्रास का लाभ
- आवासीय श्रेणी और गैर-लाभकारी संगठनों के लिए पूंजीगत सब्सिडी
राज्य सौर नीतियां और विनियम
दिल्ली सोलर नीति एवं उसकी मुख्य बातें :
दिल्ली सौर ऊर्जा नीति 2016 - 2020 की अवधि के लिए वैध है और वास्तविक प्रदर्शन, बाजार की परिस्थितियों और उपभोक्ताओं के अनुभव के आधार पर बदलाव के अधीन है।
इस नीति का लक्ष्य दिल्ली को ‘सोलर सिटी’ बनाना और 2020 तक 1,000 मेगावॉट तथा 2025 तक 2,000 मेगावॉट बिजली का लक्ष्य हासिल करना है। यूज़र्स को रूफटॉप सोलर पीवी सिस्टम्स स्थापित करने की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए नीति में लचीलापन सुनिश्चित किया गया है जैसे कि बिल्डिंग कानून में ढील दी गई है ताकि सोलर प्लांट के पैनल्स की ऊंचाई को बिल्डिंग की कुल ऊंचाई में शामिल नहीं किया जाएगा। इसी तरह, कोई भी जो सौर संयंत्र या निगरानी उपकरण स्थापित करना चाहता है, उसे सौर संयंत्र लगाने के लिए से पहले शहरी विकास निकायों से कोई अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। नवीनतम नीति के तहत् अगले पांच वर्षों में सभी सरकारी स्वामित्व वाली छतों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगाना अनिवार्य किया गया है। दिल्ली सौर ऊर्जा नीति 2016 उन सभी सौर ऊर्जा उत्पादन प्रणालियों पर लागू है, जो कम से कम 1 किलोवॉट बिजली का उत्पादन करती हैं। नीति शुद्ध मीटरिंग/सकल मीटरिंग को भी बढ़ावा देती है और इसकी संपूर्ण प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित बनाया गया है।
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